-चंडीगढ़ : श्री कृष्ण प्रिया जू संकीर्तन मंडल के तत्वाधान में सेक्टर 34 के मेला ग्राउंड में वृन्दावन प्राक्टय उत्सव और श्री मद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जो 3 अक्टूबर तक चलेगा। प्रसिद वक्ता संदीप चुग कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं. डॉ. अनमोल रतन सिद्धू, वरिष्ठ अधिवक्ता भी कथा सर्वण के लिए पहुंचे.
चंडीगढ़ में वृंदावन प्रकाश उत्सव के पांचवे दिन कथा के प्रारंभ में ही कथावाचक श्री इंद्रेश उपाध्य महाराज जी ने पंढरपुर में विराजमान विठ्ठल भगवान के दर्शनों की महिमा का गुणगान किया उन्होंने ने बताया कि, पूरे भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां प्रत्येक दर्शनार्थी को विठ्ठल भगवान के चरण स्पर्श करने का मौका मिलता है, हर दर्शनार्थी गर्भगृह जा कर ठाकुर जी के चरणों से लिपटकर प्रणाम कर सकता है, उन्हें कहा कि सांसारिक सुखों में नृत्य करना और ठाकुर के लिए नृत्य करना दोनों अलग अलग सुख देता है, सुख की एक घड़ी होती है लेकिन आनंद की कोई घड़ी नहीं होती आनंद एक घड़ी के बाद और आनंदित करता है और ये आनंद ठाकुर के सामने नृत्य से मिलता है, संसार में नाचने से अच्छा है कि ठाकुर जी के सामने नाच लें, कथावाच बताते है कि या तो श्री कृष्ण किसी के ऊपर अपना रंग छिड़कते नहीं है और अगर किसी पर अपना रंग छिड़क दिया तो अन्य रंग चढ़ता नहीं है, महाराज जी ने कथा में कुछ सांसारिक गूढ़ संदेश भी दिए उन्होंने कहा कि आचार्यों की वाणी है ठाकुर के प्रति अपनी सेवा को जितना गुप्त रखोगे उतने ही आनंदित अनुभव होंगे.
उन्होंने कहा कि प्रेम का एक स्वभाव है कि प्रचार करने से घटा है, उन्होंने कहा कि आज कल ट्रेंड है अपनी हर निजी वस्तु का सोशल मीडिया पर खुलासा करना, अपनी निजी जीवन को जितना गुप्त व निजी ही रखेंगे तो अलग अनुभव होगा, पहले व्यक्ति अपने लिए जीता था, आज लोग प्रचार के लिए जीते है, कहा जा रहे है, क्या खा रहे है क्या कर रहे है अपने व्यक्तिगत अनुभव को निजी रखिए तो जीवन जीने का एक अलग ही रस आएगा, ऐसी चीजों का प्रचार करो जिसे किसी का जीवन सुधर रहा हो भक्ति का प्रचार करो जिसे जीवन में सकारात्मक सुधार आता है और मन को सुकून मिलता है, उन्होंने बताया कि यशोदा मैया ने लला के जन्म के 6 दिन तक किसी को लला मुख नहीं दिखाया था ताकि किसी की नजर न लगे.
महाराज जी ने कथा माध्यम से वृंदावन की रज का महत्व भी बताया, उन्होंने कहा कि अगर कोई वृंदावन से अपने घर में रज ला रहे है तो ये ही भाव से लाना चाहिए कि ये लाल जू लाडलीजू की चरण रज है, ओर रज को घर के मंदिर में लाल लाडली के साथ विराजमान करवाना चाहिए. आज लोगों को रज के महत्व के बारे में जरूर ज्ञान होना चाहिए क्योंकि की वृंदावन की रज भी ठाकुर जी को अति प्रिय है, उसी रज में राधे कृष्णा ने अनेकों लीलाएं की है.
